DeepSeek ऐप की छवि जिसमें डेटा सुरक्षा को लेकर चेतावनी चिन्ह, स्मार्टफोन और चीन का नक्शा दिख रहा है, प्रतिबंध की चेतावनी दर्शाते हुए।

“DeepSeek ऐप पर मंडराया खतरा: चीन में असुरक्षित डेटा स्टोरेज के चलते बैन की तैयारी”

चीन की एक प्रसिद्ध AI चैटबॉट ऐप DeepSeek को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा हो गया है। इस बार मुद्दा है यूज़र डेटा की सुरक्षा का। बताया जा रहा है कि यह ऐप उपयोगकर्ताओं की जानकारी को सीधे चीन में स्टोर करता है—वो भी बिना किसी सुरक्षा गारंटी के।

यही कारण है कि यूरोप के कुछ डेटा सुरक्षा अधिकारियों ने इस ऐप को मोबाइल स्टोर्स से हटाने की सिफारिश की है। उनका कहना है कि DeepSeek न सिर्फ डेटा की सुरक्षा में चूक कर रही है, बल्कि यह यूरोपीय यूनियन की कड़ी प्राइवेसी गाइडलाइंस का भी उल्लंघन करती है।

डेटा कहां जा रहा है?

DeepSeek एक AI ऐप है जो यूज़र से संवाद करता है और कई भाषाओं में उत्तर देता है। परंतु इसका सबसे बड़ा सवाल यही है — जब यूज़र कुछ पूछते हैं, तो उनका डेटा कहाँ और कैसे स्टोर होता है?

रिपोर्ट्स के अनुसार, DeepSeek चीन में अपने सर्वर पर डेटा स्टोर करती है। इसका अर्थ है कि वहाँ की सरकार की नीतियों के तहत यह जानकारी एक्सेस की जा सकती है। इससे न केवल यूज़र की प्राइवेसी खतरे में पड़ती है, बल्कि विदेशी उपयोगकर्ताओं के लिए यह एक गंभीर चिंता बन जाती है।

ऐप स्टोर्स से हटाने की मांग

डेटा संरक्षण से जुड़े कई संगठन अब Apple और Google से अपील कर रहे हैं कि इस ऐप को उनके स्टोर्स से हटाया जाए। उनका तर्क है कि जब तक DeepSeek यह साबित नहीं करती कि वह यूज़र डेटा को सुरक्षित, एन्क्रिप्टेड और स्थानीय रूप से प्रोसेस कर रही है, तब तक इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं होना चाहिए।

दुनियाभर में प्रतिबंध की लहर

DeepSeek के खिलाफ केवल यूरोप ही नहीं, बल्कि कई अन्य देश भी कठोर कदम उठा चुके हैं। कुछ देशों ने इसे सरकारी डिवाइसेज़ पर बैन कर दिया है, वहीं कुछ ने नई डाउनलोडिंग पर रोक लगा दी है। यह साफ दर्शाता है कि ऐप की पारदर्शिता और भरोसे को लेकर अब संदेह गहराता जा रहा है।

DeepSeek की सफाई

हालांकि कंपनी की ओर से यह दावा किया गया है कि वह सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और यूज़र डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन फिलहाल इन दावों से सरकारी एजेंसियां संतुष्ट नहीं हैं।

DeepSeek जैसी AI ऐप्स भले ही टेक्नोलॉजी में आगे हों, लेकिन डेटा प्राइवेसी के बिना इनका विस्तार मुश्किल है। अगर ये ऐप अपने सिस्टम में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करती, तो निकट भविष्य में यह कई देशों के ऐप स्टोर्स से पूरी तरह हटा दी जा सकती है। AI का भविष्य तभी सुरक्षित होगा जब टेक्नोलॉजी के साथ भरोसा भी चले।

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